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कोर्ट मार्शल के बाद वायुसेना के उस अफसर का क्या होगा?

नई दिल्ली: बालाकोट हमले के बाद बडगाम में अपनी ही वायुसेना के Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर को मार गिराने का ऑर्डर देने वाले ग्रुप कैप्टन सुमन रॉय चौधरी (Suman Roy Chowdhury) की कोर्ट मार्शल के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त का आदेश सुनाया दिया है। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तान ने जवाबी हमला करने की कोशिश की थी तब चौधरी श्रीनगर वायुसेना स्टेशन के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर थे। अब सवाल उठता है कि क्या कोर्ट मार्शल के बाद चौधरी की नौकरी चली जाएगी? कोर्ट मार्शल के बाद किसी जवान या अधिकारी के पास क्या ऑप्शन होता है? आइए समझते हैं।

-कोर्ट मार्शल के आदेश पर रोक के लिए चौधरी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगा दी है। ऐसे में जबतक कोर्ट कोई फैसला नहीं सुनाएगा तबतक कोर्ट मार्शल के आदेश पर तामील नहीं हो सकता है।

-कोर्ट मार्शल के आदेश के बाद वायुसेना चीफ की तरफ से उसे मंजूरी लेनी होती है। लेकिन वायुसेना चीफ भी कोर्ट मार्शल के आदेश पर तभी कोई फैसला कर सकते हैं जब हाईकोर्ट का कोई निर्णय न आ जाए।

-आर्मी एक्ट 1950 के सेक्शन 164 के तहत आरोपी के पास एक आरोप से पहले और एक आरोपी सिद्ध होने के बाद याचिका डालने का नियम है। प्री कन्फरमेशन पिटिशन कमांडर के पास जाता है। जो इस मामले को देख सकते हैं। आरोपी सिद्ध होने और नौकरी से बर्खास्तगी के बाद पोस्ट कन्फरमेशन याचिका सरकार के पास दाखिल की जा सकती है।

-इन दो विकल्प के खत्म होने के बाद आरोपी आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल में अपील कर सकता है। ट्राइब्यूनल के पास सजा को निलंबित करने का अधिकार होता है।

जानिए क्या है पूरा मामला

फरवरी 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की थी। लाइन ऑफ कंट्रोल पर भारतीय और पाकिस्तानी वायुसेना के बीच टक्कर चल रही थी। ग्रुप कैप्टन (सेना के कर्नल रैंक के बराबर) चौधरी उस वक्त श्रीनगर एयरफोर्स स्टेशन के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर थे। बालाकोट एयर स्ट्राइक के एक दिन बाद Mi-17 हेलिकॉप्टर एयरफील्ड से लौट रहा था तभी उसे मार गिराया गया था। इजरायल की स्पाई डार क्विक रिएक्शन एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल से हमला किया गया था। इस हमले में वायुसेना के 6 जवान और एक सिविलियन की मौत हो गई थी। सेना ने इसे युद्ध की आशंका के बीच इसे ‘ब्लू ऑन ब्लू’ घटना करार दिया था।

कोर्ट मार्शल के दौरान ग्रुप कैप्ट चौधरी को 5 आरोप का दोषी पाया गया। इसमें M-17 हेलिकॉप्टर की बिना पहचान किए कि वो दोस्त हैं या दुश्मन उसपर हमले का आदेश देना, ट्रांसपॉन्डर सिस्टम को स्विच ऑफ करना नियमों का उल्लंघन था, अगर IFF रेडार ऑन रहता तो हेलिकॉप्टर की पहचान हो पाती। अक्टूर 2019 कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के बाद तत्कालीन वायुसेना चीफ आर के एस भदौरिया ने कहा था कि ये हमारी गलती थी। हमारे मिसाइल ने ही M-17 हेलिकॉप्टर को मार गिराया था। यह बहुत बड़ी गलती थी।

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