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पिच को देखकर खूंखार बल्लेबाज को मौके देंगे रोहित शर्मा, छक्के-चौकों की बरसात से उड़ा देगा ऑस्ट्रेलिया के होश!

अहमदाबाद: भारतीय टीम चौथे और अंतिम टेस्ट मैच के लिए झारखंड के विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन को अंतिम एकादश में शामिल कर सकती है। केएस भरत के बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में बल्लेबाजी में लचर प्रदर्शन किया है। अहमदाबाद की पिच बल्लेबाजों के लिए अनुकूल मानी जा रही। भरत को पिछले एक साल से ऋषभ पंत के बैकअप के रूप में तैयार किया जा रहा था और वह भारत ए टीम के नियमित सदस्य रहे। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले तीन टेस्ट मैचों की पांच पारियों में 8, 6, नाबाद 23, 17 और 3 का स्कोर ही बना पाए।

    भरत की कीपिंग अच्छी

    धीमे और टर्न लेते विकेटों पर उनकी विकेटकीपिंग हालांकि प्रभावशाली रही। यह अलग बात है कि इंदौर में वह कुछ गेंदों पर गच्चा खा गए थे। लेकिन पांच पारियों में केवल 57 रन बनाना भारतीय टीम के लिए फायदे का सौदा नहीं रहा है वह भी तब जबकि भारतीय बल्लेबाज टर्निंग पिचों पर रन बनाने के लिए जूझ रहे हैं। हालांकि चौथे और अंतिम टेस्ट मैच से पूर्व जब भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ से भरत की बल्लेबाजी में खराब फॉर्म के बारे में पूछा गया तो वह उनके बचाव किया था। द्रविड़ ने कहा था कि हम चिंतित नहीं हैं और यह फिर चुनौतियों और परिस्थितियों को समझने से जुड़ा हुआ है। उन्होंने हालांकि बहुत बड़ा योगदान नहीं दिया है लेकिन पिछले मैच की पहली पारी में 17 रन बनाए थे।

    ईशान किशन का रिकॉर्ड

    वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगा चुके ईशान किशन ने अभी तक 48 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। इसमें उनके नाम 38.76 की औसत से 2985 रन हैं। इस दौरान किशन के बल्ले से 6 शतक और 16 फिफ्टी निकली है। उनकी सबसे बड़ी पारी 273 रनों की है। इस पारी में उन्होंने 14 छक्के मारे थे।

    द्रविड़ ने साथ बिताया समय

    मंगलवार को नेट पर अभ्यास के दौरान द्रविड़ ने किशन के साथ काफी समय बिताया। भारतीय टीम का नेट सत्र हालांकि टीम प्रबंधन की सोच को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं करता तथा मंगलवार को वैकल्पिक अभ्यास सत्र में भरत को विश्राम दिया गया था। मोटेरा का विकेट बल्लेबाजी के लिए अनुकूल दिखता है और यदि उसमें उछाल भी होती है तो वह किशन की आक्रामक शैली की बल्लेबाजी के अनुकूल ही होगा और ऐसे में टीम प्रबंधन उन्हें मौका दे सकता है।

    ऑस्ट्रेलिया की टीम में दो ऑफ स्पिनर का होना ही किशन के खिलाफ जाता है क्योंकि उन्हें बाहर की तरफ टर्न होती गेंदों को खेलने में परेशानी होती है। लेकिन ऐसा सीमित ओवरों के क्रिकेट में हुआ है जहां उन्हें शुरू से ही आक्रामक रवैया अपनाना पड़ता है।

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