मध्य प्रदेश

सोसाइटियों में यूरिया खाद का संकट,आधी रात से गोदामों के बाहर कतारों में लगे किसान

मन्दसौर:-जिले में अब यूरिया खाद का संकट हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र की सोसायटियों और बाजार में यूरिया खाद नहीं मिल रहा, इसीलिए किसान आधी रात से सरकारी गोदामों के बाहर लाइन लगाकर बैठ रहे हैं गुरुवार रात से ही सीतामऊ में कृषि विपणन सहकारी सोसायटीयो बाहर के गोदामों किसानों की भीड़ एकत्रित हो गयी थी तथा किसान अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए।
खाद की किल्लत को लेकर सीतामऊ एसडीएम शिवानी गर्ग से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि सीतामऊ में अभी 125 कट्टे यूरिया ही उपलब्ध है अभी आगे से यूरिया आया नहीं है इसलिए समस्या आ रही है जल्द समाधान हो जाएगा।
सीतामऊ ग्रामीण क्षेत्र की सोसायटियों और बाजार में यूरिया खाद नहीं मिल रहा, इसीलिए किसान आधी रात से सरकारी गोदामों के बाहर लाइन लगाकर बैठ रहे हैं। गुरुवार को कृषि उपज मंडी परिसर में बने विपणन संघ के गोदामों पर दर्जनों की संख्या में पहुंच गए। खाद के लिए समिति पहुंचे किसानों को कतार लगाकर बैठना पड़ा जिसमें कुछ किसान अपनी बारी का इंतजार करने के लिए रात भर सोसायटी के बाहर ही बिस्तर लगाकर सोना पड़ा तथा सुबह फिर सोसाइटी खुलने के इंतजार में घण्टो बैठे रहे!
किसानों का कहना था कि बुधवार को भी लाइन में लगे थे लेकिन नंबर नहीं आ पाया। खाद खत्म ना हो जाए इस चक्कर में घंटा इंतजार करना पड़ रहा है। तथा रात भी बितानी पड़ रही है इस समस्या के समाधान हेतु प्रशासन को सुनिश्चित व्यवस्था करनी चाहिए।

गौरतलब है, कि सरसों, व गेहूं की बोवनी के बाद किसानों को अब फसल में यूरिया खाद की जरूरत है, जिससे फसल समय पर विकसित होने लगे। जिलेभर के बाजारों में खाद बेचने वाले लाइसेंसी दुकानदारों के यहाँ से यूरिया अधिक मूल्य पर लेना पड़ता है सोसायटियां जिन्हें खाद बांटने की जिम्मेदारी दी जाती है, वहां से भी किसानों को खाली हाथ लौटाया जा रहा है। इसीलिए मन्दसौर जिला मुख्यालय पर सीतामऊ के किसान खाद के लिए आ रहे हैं। बुधवार की रात से ही सोसाइटियों के बाहर यूरिया खाद के लिए किसानों की लाइन लगना शुरू हो गई। गुरुवार सुबह 7 बजे तक यहां दर्जनों किसानों की भीड़ जुट गई। इस व्यवस्था से किसान ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

*प्रशासन का दावा भरपूर है खाद, तो किसान को 1 बोरा ही क्यों*
जिले में खाद संकट के बीच जिला प्रशासन दावा कर था कि जिले में यूरिया की कोई किल्लत नहीं, लेकिन हकीकत यह है, कि खाद के लिए किसान अपने घरों की महिलाओं को भी कतार में खड़ा कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन सरकारी गोदामों पर खाद उपलब्ध है, वहां से खेत की पावती में 1 बीघा कृषि भूमि पर एक कट्टा यूरिया दिया जा रहा है। अगर 10 बीघा खेत की एक ही किताब है तो उस पर भी सीमित मात्रा में ही यूरिया दिया जा रहा है, जबकि 10 बीघा सरसों में 10 बोरा यूरिया लगता है। ऐसे में किसान खेत की दूसरी किताब, आधार कार्ड के साथ महिलाओं को भी ला रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button