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हिंद महासागर में चीन की घेराबंदी? विदेश मंत्री जयशंकर का ‘मिशन बांग्लादेश’ क्या है?

नई दिल्ली : विदेश मंत्री जयशंकर बांग्लादेश में है। पड़ोसी देश पहुंचने के बाद विदेश मंत्री ने फूलों के गुलदस्ते के साथ एक तस्वीर ट्वीट की। तस्वीर में जशंकर के साथ उनके समकक्ष मोहम्मद शहरयार आलम मुस्कुराते नजर आ रहे हैं। विदेश मंत्री के बांग्लादेश पहुंचने की वजह बहुत खास और महत्वपूर्ण है। वह यहां ‘हिंद महासागर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए बांग्लादेश में हैं। सम्मेलन के दौरान क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इंडिया फाउंडेशन ने बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सहयोग से सम्मेलन के छठे संस्करण का आयोजन किया है। इस बार सम्मेलन की थीम ‘शांति, समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए साझेदारी’ है। सम्मेलन में 40 देशों के 300 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। दो दिन चलने वाले सम्मेलन में 27 देशों के राष्ट्रप्रमुख और मंत्री शामिल होंगे।

क्या है मिशन बांग्लादेश

मिशन बांग्लादेश के केंद्र में है हिंद महासागर। हर साल होने वाला यह इंडिशन ओशन कॉन्फ्रेंस के जरिए समुद्र में क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है। सम्मेलन में मॉरिशस के राष्ट्रपति, मालदीव के उपराष्ट्रपति भी शामिल होंगे। भूटान, नेपाल, बहरीन और सिंगापुर के विदेश मंत्री भी शामिल हो रहे हैं। ऐसे में भारत की कोशिश होगी की हिंद महासागर में किसी भी देश का दबदबा या दादागीरी की कोशिशों पर रोक लगाने को लेकर सहमति बने। बांग्लादेश के साथ जियो पॉलिटिक्स में हिंद महासागर के साथ देशों के साथ साझेदारी को मजबूत किया जाए। सम्मेलन में भाग लेने वाले देश इस पर चर्चा करेंगे कि वे भविष्य में आने वाली वैश्विक घटनाओं को देखते हुए किस तरह के कदम उठाएंगे।

क्यों महत्वपूर्ण है यह दौरा

हिंद महासागर तेजी से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में रणनीतिक और आर्थिक ध्यान का केंद्र बन रहा है। चीन एक ग्लोबल पावर बनने के लिए, हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका के लिए जोर दे रहा है। हाल के वर्षों में, बीजिंग ने हिंद महासागर में अपनी तैनाती बढ़ा दी है। महासागर वर्ल्ड एनर्जी प्रोडक्शन और वैश्विक समुद्री व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त बिजनेस कॉरिडोर्स में से एक के रूप में कार्य करता है। होर्मुज जलडमरूमध्य और मलक्का जलडमरूमध्य तेल पारगमन की मात्रा से दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक चोकपॉइंट हैं। ऐसे में हिंद महासागर सम्मेलन की थीम भले ही शांति, समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए साझेदारी लेकिन इसके पीछे ड्रैगन की बढ़ती पैठ को रोकना है। सम्मेलन के जरिये चीन को

चीन ने शुरू किया था इंडियन ओशन रिजन फोरम

हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के उद्देश्य ने चीन ने पिछले साल इंडियन ओशन रीजन फोरम का गठन किया। चीन ने इस फोरम पर एक सम्मेलन की मेजबानी भी की थी। चीन के अनुसार इस हाइब्रिड मीटिंग में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मालदीव, नेपाल, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती, ऑस्ट्रेलिया सहित 19 देश शामिल हुए थे। हालांकि, वक्तव्य जारी होने के तुरंत बाद, मालदीव और ऑस्ट्रेलिया ने मंच में किसी भी आधिकारिक भागीदारी की खबरों का खंडन किया था।

क्या है हिंद महासागर सम्मेलन

हिंद महासागर सम्मेलन की शुरुआत साल 2016 में सिंगापुर में 30 देशों की भागीदारी के साथ हुई थी। पिछले छह वर्षों में, सम्मेलन क्षेत्रीय मामलों पर क्षेत्र के देशों के लिए प्रमुख परामर्शी मंच के रूप में उभरा है। सम्मेलन क्षेत्र के महत्वपूर्ण राज्यों और प्रमुख समुद्री भागीदारों को एक साझा मंच पर एक साथ लाने का प्रयास करता है ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जा सके।

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